देव दिवाली भगवान शिव की नगरी काशी में मनाई जाती है। यह उत्सव हर साल दिवाली के 15 दिनों के बाद कार्तिक पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। इस साल 15 नवंबर को देव दिवाली मनाई जाएगी। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन सभी देवता काशी में खुशियां मनाने आते हैं। इसलिए पूरी काशी को रौशनी से सजाया जाता है। बनारस के घाटों को दीपों से जगमगाया जाता है। सवाल ये है कि आखिर काशी में ही देव दिवाली क्यों मनाई जाती है। इसके पीछ की वजह क्या है।
पौराणिक मान्यता के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा के कुछ दिन पहले देवउठनी
एकादशी पर भगवान विष्णु 4 महीने की निद्रा से जागते हैं। जिसकी खुशी में
सभी देवता स्वर्ग से उतरकर बनारस के घाटों पर दीपों का उत्सव मनाते हैं।
ऐसी एक अन्य मान्यता है कि दीपावली पर माता लक्ष्मी अपने प्रभु भगवान
विष्णु से पहले जाग जाती हैं, इसलिए दीपावली के 15वें दिन कार्तिक पूर्णिमा
के दिन देवताओं की दीपावली मनाई जाती है।
दूसरी मान्यता के अनुसार तीनों लोकों में त्रिपुरासुर राक्षस का आंतक था।
तब भगवान शिव ने कार्तिक पूर्णिमा के दिन काशी में पहुंच कर त्रिपुरासुर
राक्षस का वध कर सभी को उसके अत्याचारों से मुक्ति दिलाई थी। इससे प्रसन्न
होकर सभी देवताओं ने स्वर्ग लोक में दीप जलाकर दीपोत्सव मनाया था।
देव दिवाली का आयोजन सबसे पहले बनारस के पंचगंगा घाट पर 1915 में हजारों
की संख्या में दिये जलाकर की गई थी। तभी के बनारस में भव्य तरीके से घाटों
पर दीये सजाए जाते हैं।
बनारस का यह उत्सव करीब तीन दशक पहले कुछ उत्साही लोगों के प्रयासों से
शुरू हुआ। नारायण गुरु नाम के एक सामाजिक कार्यकर्ता ने युवाओं की टोली
बनाकर कुछ घाटों से इसकी शुरूआत की थी, इसके बाद धीरे-धीरे इस पर्व की
लोकप्रियता बढने लगी।
Important Timings On Dev Diwali
Sunrise | November 05, 2025 6:54 AM |
Sunset | November 05, 2025 5:36 PM |
Purnima Tithi Begins | November 05, 2025 12:48 PM |
Purnima Tithi Ends | November 05, 2025 2:59 PM |